बिहार में BPSC छात्रों पर लाठीचार्ज: गुस्से और आंदोलन का माहौल

BPSC आंदोलन

बिहार में BPSC छात्रों पर लाठीचार्ज: गुस्से और आंदोलन का माहौल

29 दिसंबर को बिहार की राजधानी पटना में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के छात्रों पर लाठीचार्ज की घटना ने राज्य में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गरमा दिया है। इस घटना के बाद 30 दिसंबर को विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए पूरे बिहार में बंद का आह्वान किया है।

क्या हुआ था 29 दिसंबर को?

घटना की शुरुआत तब हुई जब छात्रों ने सीएम आवास की ओर मार्च करने की कोशिश की। जेपी गोलंबर के पास पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और बाद में लाठीचार्ज किया।
छात्रों का दावा है कि वे गर्दनीबाग में पिछले 13 दिनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन प्रशांत कुमार, जन सूरज के संस्थापक, ने उन्हें गांधी मैदान में आंदोलन के लिए बुलाया। छात्रों का आरोप है कि प्रशांत कुमार ने भरोसा दिलाया था कि वे पहले लाठी खाएंगे, लेकिन जैसे ही पुलिस ने बल प्रयोग किया, वे वहां से चले गए।

विपक्ष का रुख और बंद का ऐलान

इस घटना के बाद विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने छात्रों से अपील की कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें और किसी के बहकावे में न आएं। उन्होंने नीतीश सरकार पर छात्रों के खिलाफ बल प्रयोग करने का आरोप लगाया। विपक्ष ने पूरे बिहार में बंद का ऐलान करते हुए कहा कि सरकार को छात्रों की समस्याओं को सुनना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

छात्रों की मांगें और गुस्सा

BPSC परीक्षा के पेपर लीक के मुद्दे ने छात्रों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है। छात्र BPSC के चेयरमैन के इस्तीफे और परीक्षा के पुनः आयोजन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह केवल एक परीक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि उनकी मेहनत और भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

पेपर लीक और भारतीय परीक्षाओं का इतिहास

भारत में पेपर लीक की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हाल ही में नीट जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ था। यह दर्शाता है कि देश में परीक्षा प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं, जिनका समाधान अब तक नहीं हो पाया है।

आगे की राह

बिहार के कई शहरों में प्रदर्शन और चक्का जाम की स्थिति बनी हुई है। छात्रों का आंदोलन कब तक चलता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

आपका इस मुद्दे पर क्या विचार है? क्या सरकार को छात्रों की मांगों को तुरंत मान लेना चाहिए, या इसके लिए एक विस्तृत जांच और सुधार प्रक्रिया की जरूरत है? हमें अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।

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